टेलीविजन, ओटीटी और फिल्मी जगत की जानीमानी हस्ती इमरान नज़ीर खान को एण्डटीवी के शो ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में सेलीब्रिटी क्रिकेटर टिम्मी के किरदार की बेहतरीन काॅमिक टाइमिंग के लिये काफी लोकप्रियता मिली है। हाल ही में इमरान ने मनोरंजन की दुनिया में अपने सफर और अपनी आदर्श भूमिका के बारे में बात की।
‘भाबीजी घर पर हैं’ की टीम के साथ काम करने में आपको कितना मजा आ रहा है?
मैं ‘भाबीजी घर पर हैं’ का हिस्सा बनने पर सचमुच आभारी हूँ और अपने किरदार टिम्मी को मिली प्रतिक्रिया से बहुत खुश हूँ। मुझे यह शो पहले से ही काफी पसंद था और विभूति मेरा चहेता किरदार रहा है। मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन मुझे इस बेहतरीन धारावाहिक का हिस्सा बनने और खुद आसिफ शेख सर के साथ काम करने का मौका मिलेगा। यह वाकई में भारतीय टेलीविजन के सबसे मजेदार और रोमांचक शोज में से एक है, इसलिये इसमें शामिल होना मेरे लिये किस्मत की बात है! सेट पर काम कर रहा हर इंसान बहुत मिलनसार और जिंदादिल है और हम शूटिंग के दौरान अपने चुटकुलों से भी अक्सर मजा लेते हैं। एक एपिसोड में मुझे देखकर मेरा परिवार बहुत खुश हो गया था; चूंकि वे प्रशंसक हैं, इसलिये आप उनकी उत्साह से भरी प्रतिक्रिया की कल्पना कर सकते हैं!
आसिफ जी खुद एक प्रोफेशनल क्रिकेटर रहे हैं; क्या उस एपिसोड के लिये उन्होंने आपको कोई टिप्स दिये या ट्रिक्स बताईं?
क्रिकेट सीक्वेंस पर उनके साथ काम करने से पहले मुझे पता नहीं था कि वह इतना अच्छा क्रिकेट खेलते हैं। जब हम साथ में शूटिंग कर रहे थे, तब बैटिंग की पकड़ और मुद्राओं पर उनकी पैनी जानकारी ने मुझे चकित कर दिया। उन्होंने बैटिंग की सही पोजिशंस को समझने में मेरी काफी मदद की। क्रिकेट के दृश्यों के लिये उन्होंने जो जोश दिखाया, उससे मैं रोमांचित हो गया और जल्दी ही उन्होंने बता दिया कि दिल्ली में वह बीस साल की उम्र के करीब क्रिकेट खेलने लगे थे। मैंने अपनी शूटिंग के दौरान उनकी सारी सलाहों को अपनाया और इसका बड़ा फायदा हुआ। खेल की बेहतरीन जानकारी वाले एक अनुभवी एक्टर से सीखना सुखद अनुभव था। वह मेरे लिये एक खास इंसान हैं!
आप इंजीनियर हैं, तो आपने एक्टिंग का कॅरियर क्यों चुना?
मैंने बचपन से ही एक्टर बनने का सपना देखा था। मैं कश्मीर के एक छोटे-से कस्बे का रहने वाला हूँ, मेरे पिता एक स्थानीय व्यापारी हैं और मनोंरजन उद्योग के साथ मेरा कोई संपर्क नहीं था, इसलिये वह लक्ष्य लगभग असंभव लगा। मेरा परिवार चाहता था कि मैं इंजीनियरिंग पर ध्यान दूं और अपना पारिवारिक व्यवसाय संभालूं। फिर भी, डिग्री लेने के बावजूद मैं इस भावना को नकार नहीं सका कि मुझे एक्टिंग करनी है। जब मैंने उन्हें कहा कि मैं अपने सपनों को पूरा करने मुंबई जा रहा हूँ, तब वे नाखुश थे- उन्होंने मुझे रोकने और मेरा इरादा बदलने की पूरी कोशिश की, लेकिन मैं जानता था कि अगर मैं ठान लूं, तो कोई मुझे रोक नहीं सकता। फिर मैं निकल गया! मैंने विज्ञापनों से शुरूआत की और कई आॅडिशंस में रिजेक्ट होने के बाद भी धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया और आखिरकार मुझे एक नकारात्मक किरदार मिल गया। उसके बाद मुझे काॅमेडी रोल्स से बहुत सफलता मिली और इसलिये मेरा पक्का मानना है कि कॅरियर का चुनाव करते वक्त हमेशा अपने दिल की बात माननी चाहिये।
आपको काॅमेडी करने में कितना मजा आता है?
मुझे अपने कॅरियर में काॅमेडी वाली भूमिकाएं निभाने में बहुत मजा आया है और अच्छी बात यह है कि मुझे इसके ज्यादा मौके मिल रहे हैं। दर्शकों को दिल खोलकर हंसाना एक्टिंग की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और मैं आभारी हूँ कि मुझे इसका मौका मिला है। ‘भाबीजी घर पर हैं’ ने मुझे ज्यादा से ज्यादा काॅमेडी भूमिकाएं निभाने की प्रेरणा दी है।
आप जल्दी ही बाॅलीवुड में आने वाले हैं। क्या यह आपके लिये एक ब्रेक है या आप कुछ बड़ा मिलने का इंतजार कर रहे हैं?
‘यारियाँ 2’ ऐसा प्रोजेक्ट नहीं है, जो बाॅलीवुड में मुझे निर्णायक रूप से कदम रखने देगा। मुझे एक दूसरी फिल्म मिली है, जो जल्द ही आ रही है- और मैं भी यही उम्मीद करता हूं, कि अपने अभिनय का जलवा बिखेरूं क्योंकि सिल्वर स्क्रीन पर मैं लीड रोल करने जा रहा हूँ।